कमकानार मे तुले डोकड़ी यायो ना पेन करसाड़ पारम्पारिक पध्दतीसे संपन हुआ
तुले डोकड़ी पेन कमकानार–31/01/2023 से 01/02/2023 को मध्य भारत के पश्चिम व दक्षिण बस्तर में एक मात्र पेन करसाड़ होता है उसके बाद अन्य जगहों पर करसाड़ निमात्रंण दे कर पेन करसाड़ किया जाता है ।इस कमकानार भूम में पेन आंगा ,कोलाओ से देवी–देवताओं ने पेन अकुम के साथ महालेंज का दुल और कमका , लहरों से नार्र में पेन करसना करते हुए , हमारे पुरखाओं के नेंग , नीति , नियमों को सजोरते हुये देवी देवताओं का सिंगार मनुष्य के पास पारम्परिक पेन करसाड़ में भव्य सुंदर रूप से प्रकृति के बीच हजारों की संख्या में एक साथ नजर आ रहे हैं ।
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करसाड़ के ही दिन में नार के पुरे लोगों की समीक्षा के बाद ढोल , गुजीड़ नृत्य व मोहरी ,बाजा वाद्ययंत्र को सुबह से शाम से रात भर पाटा , डाका एन्दाना करते हैं । यहां पुरे बस्तर संभाग के 5–6 जिलों के लोग पहुँच जाते हैं और तुले डोकड़ी यायो को सेवा अर्जी कर कमकानार जागा में पेन व आना कुंडा को सेवा अर्जी करते हुए जाटा पंडुम – वेडे (गुनिया) जाटा ,डोडा रहतोम कर लोन के पाठ में जाटा (कोटिस मंज) रखकर डोडा को माते पर टिका लगाते हैं। और 84 पल्ली के लोग एक साथ बैट कर हमारे पुरखों ने व्यवस्था बनाकर चल रहे हैं उसको कैसे बनाये रखना है करके चर्चा करते हुए कहीं सालों से पेनों से दूर रहे ऐसे लोगों को तुले डोकड़ी यायो तरमुल में वापस आने के लिए नेवता भेज कर उनका रस्मरिवाज के साथ मान पिरेम कर पेन में जोड़ते हुए सभी को पेन व्यवस्था को विस्तृत जानकारी तलपति व मुखियाओं के माध्यम से मार्गदर्शन देते हैं । बस्तर में चारों तरप लहरों के साथ निवास करने वाली यायो अपने वंश, लिंग, पेन पुरखाओं को प्रचलित करने वाली तुले डोकड़ी यायो है I
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जैसे–छत्तीसगढ़ ,तेलंगाना ,आंध्रप्रदेश , महाराष्ट्र उड़ीसा व अन्य राज्यों तक आज भी प्रराविज्ञान के रूप में व्यवस्था अलिखित तोर पर उल्लेखनीय है ।
तुले डोकड़ी यायो पेन प्रराजीव –अजैव विविधता व जीव–जंतुओं और मानव समुदाय के साथ समझस्य बनाकर जंगलों में रहकर जीवन यापन करने वाली तुले डोकड़ी यायो है । जिला – बिजापुर ब्लॉक –गंगालूर नार्र –कमकानार के मुखियाओं का नाम – बोडा उयका ,बुधराम उयका ,जगनाथ बोडू , पेन तलपति – मंगु उयका (समलूर) ,आयतु उयका , पेन वेडे – रामा उयका पेरमा – सोमू उयका पटेल –उयका बुधराम वेडे –सुधरू उयका रजिस्टर में लिखा पढ़ाई – ललित होड़ी (दन्तेवाड़ा) पाटाड़ी – बिमाया फुलमाधरी (बासागुड़ा ) इन्ही सियान बुद्धिजीवियों के मार्गदर्शन से तुले डोकड़ी यायो पारम्परिक पेन करसाड़ सफल हुआ ।
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तुले डोकड़ी यायो ना सेवा सेवा , पेन जोहार ,पुरुण जोहार ,प्रकृति जोहार ।
-नंदु होडी