ति. मनीरावन दुग्गा: गोंडवाना आंदोलन के एक गुमनाम योद्धा का निधन

तिरुमाल मनीरावन दुग्गा सर गांव – पूसावंडी, तहसील धानोरा, जिला – गढ़चिरौली के रहने वाले थे। आज सुबह तड़के हम सबको छोड़कर वह पेनवासी हो गए।
वह महाराष्ट्र के गोंडी धर्म एवं संस्कृति प्रचारक रहे हैं। उन्होंने गोंडवाना विद्यापीठ में गोंडी भाषा कोर्स निर्मिती व गोंडी संस्कृति को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
दादा का गोंडवाना मूवमेंट मे बहुत ही ज्यादा हिसेदारी है। बहुत कम लोग उनके कार्य के बारे मे जानते हैं। दादा मोतीरावन कंगाल, सुन्हेर सिंह ताराम दादा और अन्य सामाजिक नेताओं के साथ उन्होंने कन्धा से कंधा मिलाकर काम किया था। उन्होंने आदिवासी गोंडी लिपि और गोंडी हिंदी मराठी अनुवाद भी किया है। अपने जीवन मे उन्होंने समाज के लिए अपनी शिक्षक पद कि नौकरी भी गवानी पड़ी थी लेकिन समाज के लिए हमेशा लड़ते रहे।
25 साल पूर्व पर्सवाड़ी गांव में उनकी ड्यूटी वहां लगी और उन्होंने उस गांव को जागरूक किया। आज उस गांव मे कही सामाजिक कार्यकर्ता आते है और भेट देते हैं। एक छोटा सा गांव सिर्फ दादा के काम से आज जाना जाता है।

गोंडवाना अस्मिता हर साल नवोदय कोचिंग क्लास चालाती है ऐसे ही क्लास धानोरा मे चल रही थी तब दादा ने एक हफ्ता विद्यार्थियों को अपने शिक्षा के साथ साथ अपनी रूढ़ि परम्परा, रिति-रिवाज के बारे मे जाकारी देते रहे ताकि आने वाला कल इन गोंडी बच्चों के माध्यम से ही अपनी संस्कृति बरकार रहेगी वह इसको बेहतर तरिके से जानते थे।
दादा का इस तरह अचानक चले जाना बहुत ही दुःखद है और गोंडवाना के लिए बहुत बड़ी क्षति है। हम सभी उनको पेनांजलि अर्पित करते हैं।